पूजा करने के बाद आरती करने का वैज्ञानिक रहस्य
हर भक्त,श्रद्धालु, पुजारी मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद ही आरती करता है।आखिर पूजाकृपाठ के बाद ही आरती क्यों की जाती है।पूजा के बाद अंत में आरती करने के पीछे धार्मिक महत्व के साथकृसाथ कुछ वैज्ञानिक महत्व भी है।
आरती के समय थाली में रुई, घी, कपूर, फूल, चंदन रखा होता है। चूंकि घी, चंदन और कपूर शुद्ध सात्विक चीजें हैं ऐसे में आरती के समय जैसे ही कपूर जलाया जाता है तो वातावरण में एक अदभुत सुगंध का प्रसार होता है।
ऐसा होते ही वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा लोप हो जाता है और साकारात्मक ऊर्जा संचारित होने लगती है। साकारात्मक ऊर्जा के चलते मन में अच्छे विचारों का प्रार्दुभाव होता है। खूशबू से हमारा दिमाग भी शांत रहता है।
गाय के घी में रोगाणुओं को भगाने की क्षमता होती है। यह घी जब दीपक की सहायता से अग्नि के संपर्क में आता है तो वातावरण को पवित्र बना देता है। इसके जरिये प्रदूषण दूर होता है।
और जब आरती के समय जैसे जब हम सभी एक साकारात्मक ऊर्जा के साथ घंटकृघड़ियाल और शंख की ध्वनि के साथ ईष्ट देव को याद कर स्तुति करते हैं उस समय हमारा मन एकाग्रचित हो जाता है। आप भी जानते है कि एकाग्रचित और शांत मन हमारी समस्याओं का समाधान आसानी से कर देता है।
दीपक को घी से ही जलाने के पीछे मानवीय शारीरिक चक्रों का भी महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर में सात चक्रों का समावेश होता है। यह सात चक्र शरीर में विभिन्न प्रकार की ऊर्जा को उत्पन्न करने का कार्य करते हैं। यह चक्र मनुष्य के तन, मन एवं मस्तिष्क को नियंत्रित करते हैं।
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